Navratri 2020
इस बार नवरात्रि 2020 का क्या होगा हम सबकी राशियों पर प्रभाव
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navratri 2020 |
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा नमोस्तुते।।
भक्तों को मां के शरण में जाकर उनकी आराधना करना चाहिए। नवरात्रि में राशि अनुसार मां के किस रूप की आराधना करनी चाहिए :
नवरात्रि इस बार 17 अक्टूबर से आरंभ हो रही है।
शुभ पर्व नवरात्रि 2020 की आप सभी को मंगलकामनाएं...
आइए जानते हैं इस बार की नवरात्रि 12 राशियों के लिए क्या आशीर्वाद लेकर आई है...
* मेष- आर्थिक लाभ प्राप्त, मनोकामना पूर्ति
* वृषभ- संतान की चिंता, स्वास्थ्य में लाभ
* मिथुन- सुख एवं धन प्राप्ति
* कर्क- शत्रु पी़ड़ा अर्थ लाभ, रोग नाश
* सिंह- हानि, मानसिक चिंता लेकिन सेहत में लाभ
* कन्या- सुख, सम्मान, धन प्राप्ति
* तुला -व्यर्थ चिंता, कष्ट, पद लाभ, रोग नाश
* वृश्चिक -मानसिक चिंता, सुख प्राप्ति, अच्छी सेहत
* धनु -सुख एवं अचानक धन लाभ, विवाह के योग
* मकर -अर्थ लाभ, आनंद, शत्रु नाश
* कुंभ - सफलता, प्रगति और खुशियां
* मीन -शत्रु नाश, धन लाभ, प्रमोशन
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जानिए मां अंबे के 9 रुपों के 9 शुभ वरदान
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मां अंबे, मां दुर्गा, मां भगवती...चाहे नाम कोई भी हो इन 9 दिनों में वह भरपूर आशीष देती है। 9 दिनों की 9 देवियां अपने विशेष आशीर्वाद के लिए जानी जाती हैं। आइए जानें किस देवी से मिलता है कौन सा शुभ वरदान.....
1. शैल पुत्री- मां दुर्गा का प्रथम रूप है शैल पुत्री। पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म होने से इन्हें शैल पुत्री कहा जाता है। नवरात्रि की प्रथम तिथि को शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनके पूजन से भक्त सदा धन-धान्य से परिपूर्ण पूर्ण रहते हैं।
2. ब्रह्मचारिणी- मां दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। मां दुर्गा का यह रूप भक्तों और साधकों को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाली है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है।
3. चंद्रघंटा- मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा है। इनकी आराधना तृतीया को की जाती है। इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। वीरता के गुणों में वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है व आकर्षण बढ़ता है।
4. कुष्मांडा- चतुर्थी के दिन मांं कुष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों, निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु व यश में वृद्धि होती है।
5. स्कंदमाता- नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी है। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती है।
6. कात्यायनी- मां का छठवां रूप कात्यायनी है। छठे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है। कात्यायनी साधक को दुश्मनों का संहार करने में सक्षम बनाती है। इनका ध्यान गोधूली बेला में करना होता है।
7. कालरात्रि- नवरात्रि की सप्तमी के दिन मांं काली रात्रि की आराधना का विधान है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है। तेज बढ़ता है।
8. महागौरी- देवी का आठवांं रूप मांं गौरी है। इनका अष्टमी के दिन पूजन का विधान है। इनकी पूजा सारा संसार करता है। महागौरी की पूजन करने से समस्त पापों का क्षय होकर चेहरे की कांति बढ़ती है। सुख में वृद्धि होती है। शत्रु-शमन होता है।
9. सिद्धिदात्री- मां सिद्धिदात्री की आराधना नवरात्रि की नवमी के दिन किया जाता है। इनकी आराधना से जातक अणिमा, लघिमा, प्राप्ति,प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसांयिता, दूर श्रवण, परकाया प्रवेश, वाक् सिद्धि, अमरत्व, भावना सिद्धि आदि समस्तनव-निधियों की प्राप्ति होती है।
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