Coronavirus in India
क्यों बिना बताये 2017 में इंडिया से चीन लेकर गए थे चमगादड़ वुहान के शोधकर्ता!
-2017 में नागालेंड से वुहान इंस्टीट्युट यह वायरस चीन लेकर गया था, और फिर वहां से "जाने अनजाने" में यह पूरी दुनिया में फैला।
-कोरोना के फैलने का एक परिणाम यह है कि, इससे अमेरिका-चीन का युद्ध लगभग 2–3 वर्ष से आगे बढ़ गया है।
-द हिन्दू ने रिपोर्ट किया है कि, 2017 में वुहान इंस्टीट्युट, टाटा इंस्टीट्युट ऑफ़ रिसर्च एवं मेलिंडा फाउन्डेशन ने मिलकर नागालेंड के चमगादड़ो पर एक रिसर्च की थी। रिसर्च का विषय था - चमगादड़ इबोला, सार्स, रैबीज आदि वायरस के वाहक कैसे है और चमगादड़ो की घनी आबादी के बावजूद नागालेंड में इन वायरस जनित रोगों का इतिहास क्यों नहीं रहा है !!
उन्होंने इसके लिए चमगादड़ो को पकड़ने वाले लोगो के खून के नमूने भी लिए और वे अपने साथ में कई चमगादड़ भी साथ में ले गए। 2019 में मेलिंडा फाउन्डेशन ने इस बारे में किये गए अध्ययनों को प्रकाशित किया। कोरोना सार्स का ही एक वर्जन है।
Filovirus-reactive antibodies in humans and bats in Northeast India imply zoonotic spillover
भारत सरकार ने अब इस अध्ययन पर जाँच बैठाई है कि बिना अनुमति के ये लोग भारत से चमगादड़ कैसे लेकर गए !!
तो यह बात साफ़ है कि वुहान रिसर्च इंस्टीट्युट नागालेंड से ले जाए गए चमगादड़ो पर सार्स, इबोला, कोरोना आदि वायरसो से सम्बंधित रिसर्च कर रहा था। इस प्रकरण में कुछ भी संदिग्ध नहीं है, क्योंकि बीमारियों पर रिसर्च करने वाले विभिन्न संस्थान एवं फार्मास्युटिकल कम्पनियां इस तरह के शोध करती रहती है। यहाँ गड़बड़ सिर्फ इतनी है कि, वे भारत में आकर ये चमगादड़ लेकर चले गये और सरकार अब जांच कर रही है कि वे लोग किसकी परमिशन से चमगादड़ लेकर गए थे !!
वुहान इंस्टीट्युट से यह वायरस कैसे फैला, इसे लेकर 2 औचित्यपूर्ण आकलन है :
वुहान के करीब एक मांस मंडी है, और ज्यादातर प्राथमिक रोगी इस इलाके के आस पास से थे। तो यह माना जा रहा है कि चमगादड़ के सूप वगेरह से यह वायरस मानव शरीर में चला गया और फिर फैलने लगा। कोरोना का वाहक ये चमगादड़ वहां कैसे आये इस बारे में पक्के तौर पर कुछ पता नहीं।
वुहान इंस्टीट्युट के 2 शोधार्थी भी कोरोना से ग्रस्त हुए है, अत: यह सम्भावना है कि शोध के दौरान ये लोग इससे संक्रमित हो गए हो और फिर उनसे यह अन्य में फ़ैल गया हो।
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(2) अब इसमें एक तीसरी सम्भावना भी है, जो कि कन्स्पेरेसी थ्योरी होने और न होने की बॉर्डर लाइन पर खड़ी है !!
2.1. कुछ लोगो का मानना है कि चाइना ने इसे लैब में डेवलप किया और यह एक जैविक हथियार है।
मेरे मानने में ऐसा होना बहुत दूर की कौड़ी है। इस तरह के वायरस को लैब में नहीं बनाया जा सकता। वैसे यह मान्यता वाली बात है, अत: जिसे जो मानना है, मान सकता है। मान्यताएं रखने के लिए कोई सबूत की जरूरत तो होती नहीं है। यह सब तर्क पर चलता है।
2.2. यह भी कहा जा रहा है कि, यह प्रकृति जन्य वायरस है और सुरक्षा मानक कमजोर होने के कारण वुहान की लैब से लीक हो गया है। किन्तु चीन का दावा है कि वुहान इंस्टीट्युट की लेब के सुरक्षा मानक Level 4 के है, और वहां से वायरस का इस तरह लीक होना मुमकिन नहीं है।
2.3. एक वर्जन यह है कि, यह प्रकृति जन्य वायरस है, और चीन ने इसे वुहान लेब से जानबूझकर फैलाया है !!
यदि चीन ने ऐसा किया है तो मेरे विचार में इसके पीछे वजह पैसा या जैविक हथियार होना नहीं है। इसकी वजह युद्ध हो सकती है।
दरअसल, अमेरिका-ब्रिटेन के धनिकों ने पिछले 6 साल से युद्ध की जितनी तैयारी की है, वह सब मिट्टी हो गयी है। मतलब कम से कम अगले 2–3 वर्षो तक अब अमेरिका-ब्रिटेन को युद्ध की दिशा में काम करने की फुर्सत नहीं मिलेगी, और उन्हें अब इसे फिर जीरो से शुरू करना होगा। भारत में भी CAA+NRC पर किया गया सारा निवेश कचरा हो चुका है।
यह तय है कि कोरोना दुनिया के प्रत्येक इंसान को संक्रमित करेगा। इसके रोगी को ठीक होने में कम से कम 20 दिन लगते है, और तब तक उसे होस्पिटल में ही रहना होता है। मतलब पूरी दुनिया के देशो को बड़े पैमाने पर चिकित्सीय उपकरणों के निर्माण एवं आपूर्ति में निवेश करने की जरूरत है। GE और टेस्ला तक सहयोग देने के लिए वेंटिलेटर बनाने की बात कह रहे है !! 50 वर्ष से कम आयुवर्ग के लोगो को यह नुकसान नहीं देता, लेकिन बुजुर्ग व्यक्तियों में मृत्यु का अनुपात ऊँचा रहेगा।
यदि इसकी वैक्सीन या टेबलेट खोज ली जाती है तब भी हालात सामान्य होने में 2 से 3 वर्ष खप जायेंगे, और यदि वैक्सीन / टेबलेट नहीं बन पाती है तब Herd Immunity एक मात्र इलाज है। मलतब तब मामला और भी लम्बा खींचेगा।
युद्ध से बचने के लिए क्या चीन ने कोरोना खुद फैलाया है ?
इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। वक्त गुजरने के साथ शायद और भी सूचनाएं सामने आये जिससे तस्वीर और साफ़ हो।
लेकिन जिस स्तर का युद्ध चीन को अमेरिका से लड़ना है उसे टालने के लिए यदि चीन को अपने 2-4 लाख वृद्ध / अधेड़ व्यक्तियों की कुर्बानी देनी पड़ती है तो यह बहुत छोटी कीमत है। और इसीलिए चीन को युद्ध और कोरोना में से एक चुनना हो तो चीन कोरोना चुनेगा। क्योंकि युद्ध में चीन पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगा, और दक्षिण एशिया के अन्य देश भी इस तबाही की चपेट में आयेंगे !!
अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन इतना तय है कि कोरोना में सिर्फ चिकित्सीय आयाम नहीं है। यह वैश्विक राजनीती को बहुत गहराई तक जाकर प्रभावित करने वाला है। कोरोना जैसा वायरस अमेरिका-ब्रिटेन-फ़्रांस आदि को चीन की तुलना में कई गुना ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। क्योंकि अमेरिका-ब्रिटेन-फ़्रांस की प्रशासनिक व्यवस्था कोरोना जैसी चुनौती से निपटने में चीन के मुकाबले पिछड़ी हुयी है !! और शायद जल्दी ही यह बात निकलकर सामने आ जायेगी !
Source:Qoura
#Coronavirusinindia, Reality of Coronavirus, India
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