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सभी हनुमान भक्त मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का जाप करते हैं. शक्ति और साहस का प्रतिक माने जाने वाले भगवान हनुमान की इस चालीसा में 3 दोहे और 40 चौपाई लिखी गई हैं. सिर्फ मंगलवार ही नहीं बल्कि किसी भी दिन लोग अपने मन से भय को भगाने के लिए हनुमान चालीसा की कुछ चौपाई पढ़ने लग जाते हैं. जिसमें से सबसे प्रसिद्ध है पहली चौपाई 'जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर'.आज यहां आपको इसी हनुमान चालीसा से जुड़े 5 फैक्ट्स के बारे में बता रहे हैं.
1. हनुमान चालीसा की शुरूआत दो दोहे से होती जिनका पहला शब्द है 'श्रीगुरु', इसमें श्री का संदर्भ सीता माता है जिन्हें हनुमान जी अपना गुरु मानते थे.
2. हनुमान चालीसा को कवि तुलसीदास ने लिखा. यह अवधि भाषा में लिखी में लिखी गई. कवि तुलसीदास अपने अंतिम दिनों तक वाराणसी में रहे. वहां उन्हीं के नाम का एक घाट भी है, जिसे नाम दिया गया 'तुलसी घाट'. यहीं रहकर तुलसीदास ने हनुमान मंदिर भी बनाया जिसका नाम है 'संकटमोचन मंदिर'.
3. हनुमान चालीसा को सबसे पहले खुद भगवान हनुमान ने सुना. प्रसिद्ध कथा के अनुसार जब तुलसीदास ने रामचरितमानस बोलना समाप्त किया तब तक सभी व्यक्ति वहां से जा चुके थे लेकिन एक बूढ़ा आदमी वहीं बैठा रहा. वो आदमी और कोई नहीं बल्कि खुद भगवान हनुमान थे. इस बात से तुलसीदास बहुत प्रसन्न हुए और तब उन्होंने हनुमान के सामने उनसे जुड़ी 40 चौपाई कह डाली.
4. हनुमान चालीसा में हनुमान के ऊपर 40 चौपाई लिखी गई हैं. यह चालीसा शब्द इन्हीं 40 अंक से मिला.
5. हनुमान चालीसा के पहले 10 चौपाई उनके शक्ति और ज्ञान का बखान करते हैं. 11 से 20 तक के चौपाई में उनके भगवान राम के बारे में कहा गया, जिसमें 11 से 15 तक चौपाई भगवान राम के भाई लक्ष्मण पर आधारित है. आखिर की चौपाई में तुलसीदास ने हनुमान जी की कृपा के बारे में कहा है.
जानिए हनुमान जी को क्यों चढ़ाया जाता है सिंदूर?
पौराणिक कथाएं
श्रीरामचरित मानस के अनुसार एक बार हनुमानजी ने माता सीता को मांग में सिंदूर लगाते हुए देखा. तब उनके मन में जिज्ञासा जागी कि माता मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं?
यह सवाल उन्होंने माता सीता से पूछा. इसके जवाब में सीता ने कहा कि वे अपने स्वामी, पति श्रीराम की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए मांग में सिंदूर लगाती हैं. शास्त्रों के अनुसार सुहागन स्त्री मांग में सिंदूर लगाती है तो उसके पति की आयु में वृद्धि होती है और वह हमेशा स्वस्थ रहते हैं.
माता सीता का उत्तर सुनकर हनुमानजी ने सोचा कि जब थोड़ा सा सिंदूर लगाने का इतना लाभ है तो वे पूरे शरीर पर सिंदूर लगाएंगे. इससे उनके स्वामी श्रीराम हमेशा के लिए अमर हो जाएंगे. यही सोचकर उन्होंने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाना शुरू कर दिया.
हनुमान जी पूरे शरीर पर सिंदूर पोतकर श्री राम के सामने सभा में प्रस्तुत हो गए. हनुमान जी का प्रेम देखकर श्री राम बहुत प्रसन्न हुए. अपने आराध्य को प्रसन्न देखकर हनुमान जी को सीता जी की बातों पर दृढ़ विश्वास हो गया. तभी से बजरंग बली को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.
एक दूसरी कथा के मुताबिक जब लंका विजय के बाद भगवान राम पत्नी सीता संग अयोध्या वापस लौटे तो वानर सेना को विदाई दी गई. माता सीता ने बहुमूल्य मोतियों और हीरों से जड़ी माला अपने गले से उतारकर हनुमान जी को विदा करते वक्त पहना दी. माला के किसी भी मोती या हीरे में कहीं भी भगवान राम का नाम नहीं था. इसलिए हनुमान जी को कोई खुशी नहीं हुई. तब सीता जी ने अपने माथे पर लगा सिंदूर हनुमान जी के ललाट पर लगाया था. सीता जी ने हनुमान जी से कहा था कि इससे अधिक महत्व की कोई वस्तु उनके पास नहीं है. तब से हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाया जाने लगा.
सिंदूर चढ़ाने की विधि
सबसे पहले हनुमान जी की प्रतिमा को स्नान कराएं. इसके बाद पूजा-सामग्री अर्पण करें. फिर मंत्र का उच्चारण करते हुए चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर या हनुमान जी की मूर्ति पर देसी घी लगाकर उस पर सिंदूर चढ़ा दें.
Source:khabar.ndtv.com
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